आपको मेरा नमस्कार ...!!
सथियों नव रात्रे आ गए है .शुभकामनायें...!!!...आपकी दुआओं को एक खास रूप गढ़वाली कविता में दिया है...जगत जननी पापों का हरण करके आपकी - मेरी दुआओं में तासीर दे...!!
मेरी सुरकंडा माँ...!!!
मै सणी आफु सी प्रेम करणु सिखो...
हे राज राजेश्वरी ...!!
मेरी आंख्युं म आँसूं बगई दे...
जैका बगदा उमाल मा
मै डूबी की मरी जौं....!!!
मेरी चन्द्रबदनी माँ .
मै सणी प्रेम की कई
नदी म बगई दी..
ज्वींका छाला लगी की मै
आफु सणी भूली सकौं ..!!!
हे धारी माँ ...!!
मैमू ऊ उकताट
अर यनी धंगतौल पैदा कर
कि ढुन्गों कि छाती चीरी की
मै तेरा चरणु म
अपडू मस्तक... रगडी द्यों...!!
हे माँ कुंजापूरी ...!!!
नवमी का नवराता दयोलू..
अर दशमी कु पैतू...
बस मेरा हाथु की लकीरू सी
मैकू कभी हारण ना देई....!!!
हे माँ कुंजापूरी ...!!!
नवमी का नवराता दयोलू..
अर दशमी कु पैतू...
बस मेरा हाथु की लकीरू सी
मैकू कभी हारण ना देई....!!!
हे नैना देवी माँ....!!!
कुछ यनु ...
जरुर करी देई..
कि सुपिन्या सच ह्व़े जावून...
कि सुपिन्या सच ह्व़े जावून...
यूँ अंधियारों म
कुछ बाटा मिली जावून...
ये ब़िरणयां बटोही ...तै
अपड़ी आन्खुं म संभाली रखि.....!!!
यु जनम
और औंदी मौत...
सब्बी तेरु छ...
मैमु मेरी नादानी कु ..
"कभी हिसाब किताब न सुणाई देई ...!!!
माँ शेरा वाली ..आपकी झोली आश्चर्यजनक खुशियों से भर दे...!!
शुभ रात्रि...!!!
...***धन्यवाद्***...
शुभ रात्रि...!!!
...***धन्यवाद्***...