राजा भगीरथ जन अपने पुरखो को तारने के लिए गंगा मैया को स्वर्ग से गोमुख होते हुए पहाड़ो के बीच रास्ता दिखाते हुए आगे आगे आ रहे थे तो रस्ते में तीनो भगवान(ब्रह्मा...विष्णु ..महेश ) बैठे थे . पहाड़ो में मचलती ..छलकती .गंगा माता उन्हें नमन करने के लिए अपने बेग से थोडा शांत होकर चलने लगी तीनो हरि के विश्राम की जगह हो त्रिहरी का नाम इस जगह को मिला....!!! आप देखेंगे मित्रो इस स्थान के बाद गंगा मैया स्थिर होके बहने लगती हैं फिर कलान्तरण में यह स्थान टिहरी हो गया...........

........... खैर बात हो रही है टिहरी के दफ़न होने की....!!!...मुझे अच्छी तरह याद है २००४ के वो दिन जब प्रथम चरण में झील का पानी रोकागया.......बदहवास लोग....बेतरतीब इन्सान हो गए....कुछ समझ नहीं....!!!
...सरसरी तौर पर देखे तो ४८ से ५० किलोमीटर वर्ग फुट फैली हुई यह झील करीब २७५ गाँव पूरी तरह से एवं १४० गाँव आंशिक रूप से डुबाकर लाखो घरो को पानी के अंधेरों में समाकर ..हमारी दिल्ली ,पंजाब हरियाणा ..उत्तर प्रदेश को जगमगा रही है....??
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विकास की बहुत बड़ी कीमत चुकाकर ...आज भी हजारो लोग घर और खेती से महरूम हैं,,,,सरकार ने मुआवजा दिया...लेकिन आम आदमी सरकारी नीतियों में उलझ के रह गया ...जिसका घर डूबा और खेत बच गए...उसे घर का मुआवजा मिला खेतों का नहीं....जिसके खेत डूबे और घर बच गया उसे खेतो का मुआवजा मिला घर का नहीं...ये भारतीय कानून का इंसाफ है...!! आप भी इस कानून के साथ हो सकते हैं....लेकिन जिसने पहाड़ की भोगोलिक परिस्थितियों को समझा है....जिसको पहाड़ी रहन सहन ...खेत खलिहान ...रस्ते जंगल की स्थिति का अहसास है ..वो इस बात को सुनके सन्न रहा जायेगा....शायद ठगा हुआ भी महसूस करे,,,,!!

.....कदम कदम पे मेरा कवी ह्रदय इस शहर के इस अजाम को सोच रहा था......
.......यहाँ के राज नरेश बड़े प्रसिद्ध हुए हैं...और श्री बद्री विशाल की उन पे बड़ी कृपा थी... बद्री नाथ जी साक्षात् दर्शन देकर अपना फैसला सुनते थे "टिहरी राज शाही में "बोलंदा बद्री" पर अनेक कथाएं प्रचलित हुई आज भी सुनी जा सकती हैं.....!!!.....क्रमश.... .... n