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...आपको मेरा नमस्कार...!! मुझे कौन जानता है.......? यह अधिक महत्वपूर्ण है बजाए इस के कि मैं किसे जानता हूँ ? मै..सकलानी....!!!..आनंद सकलानी....!!!! पहाड़ो की पैदाइश, हिंदुस्तान के चार मशहूर शहरों शिक्षा के नाम पर टाइमपास करने के बाद अब कुछ वर्षों से अच्छी कंपनी का लापरवाह कर्मचारी ..! राजनीति करना चाहता था, पर मेरे आदर्श और सिद्धांत मुझे सबसे मूल्यवान लगते हैं, और मैं इनके साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं कर सकता हूँ, गलत को सही दिशा का भान कराना मेरी मजबूरी है , वह बात और है कि मानने वाला उसको माने या न माने...!!!..खैर दोस्तों....!! जिंदगी का क्या है.....?सपने तो दिखाती है मगर ...बहुत गरीब होती है....!!

Monday, April 11, 2011

कि आप क्या हो....!!!


द्रोणनगरी... देहरादून....!!
यहाँ के दो प्रमुख अखबारों में पिछले हफ्ते एक खबर बहुत उछलती रही....अलग अलग शीर्षक मिलते रहे...!!!
..चलिए हम खुलासा  कर देते हैं ..
ये पंकज जी हैं....बहुत सीधे और स्पष्ट वादी इंसान...!! जब पहली बार मैंने इनके बारे में सुना ..तो लोगो की राय थी की इनकी दिमागी हालत स्थिर नहीं है...ये तेज तर्रार दुनिया सीधे इन्सान को पागल बेवकूफ समझती है...!!
आज मुझे पक्का हो गया...!!...और हाँ ..पंकज जी देहरादून  विधानसभा ...से काफी आगे ..नवादा ..ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं...!!
.....हुआ यूँ क़ि पंकज जी कभी देहरादून शहर की सडको पे   विक्रम..(ऑटो रिक्शा टाइप वाहन/थोडा बड़ा ) चलाया करते थे..इश्वर के दिए हुए टैलेंट के हिसाब से उनका व्यवसाय ठीक ठाक था...मगर सितारे कभी कुछ और कहानी लिख देते हैं...उनका छोटा भाई ..बुद्धिमान चतुर था तो .कम्पूटर से सम्बंधित सर्विस में था ...घर में ही क्रयविक्रय व साइबर कैफे चलाता था...कुदरत के कहर से ..उनकी असमय मृत्यु हो गई..अब पंकज भाई क्या करें...???
भाड़े की गाड़ी चलाने से अच्छा ..घर का कम संभाल लो ...लोगों ने सलाह दी....!! डरते हुए ही सही ..पंकज जी ने दुकान पे बैठना शुरू कर दिया.....!! काम करना था ..तो कंप्यूटर सीखना भी शुरू हो गया ..और लड़के लड़कियों को देखते हुए चैटिंग   भी सीख गए....!!!
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समाज जब किसी इंसान को उचित मूल्य नहीं दे पाता तो भगवान उसकी  साफगोई की कीमत लगाते हैं..आज तक मेरा मानना यही रहा है...और यही उदाहरण मुझे देखने को मिला ..!!!
..खैर इस नेट युग में पंकज जी की दोस्ती U S A  के नौर्थ कैरोलिना शहर की डैनी से हुयी ... पंकज जी के अनुसार उसका पहला सवाल ये था की "क्या आपको कोबरा पकड़ना आता है?"..भारतियों को सपेरो का देश समझने वाली विदेशी धरतिया शायद यही पहचान देती हैं........

खैर छोडिये.....!!

..मामला ..विशुद्ध प्रेम का  हो गया ..डैनी ..भारत देखना चाहती थी...उसने हिंदी भी सीखी ... उसने पंकज जी को बुलाना चाहा..पंकज जी ने असमर्थता जता दी...तो सारी व्यवस्था बनाकर सपने सजाकर डैनी हिन्दुस्तानी साडी पहनने चली आयी...!!

डैनी ने सबसे पहले अपने लिए ..तकरीबन ६५ लाख का घर खरीदा ...शादी की व्यवस्थाएं बनाई ..और हिन्दुस्तानी रीती रिवाज से शादी के पवित्र बंधन में बंध गई.....ये बात तकरीबन १३ दिन पुरानी है.....!!
.......दोस्तों ये आम बात लगती है...और ऐसा अक्सर हो जाता है ...लेकिन जब मैंने पंकज जी से कुछ बात की (वे मेरे मित्र के मित्र हैं ) उनकी रिकार्डिंग भी है मेरे सेल में ..और ये आलेख भी मैं उन्हें पूछ के ही लिख रहा हूँ)
....उन्होंने  मुझसे जो बाते की शायद किसी भी इंसान का दिल जीत लेंगी......बस एक लाइन ही लिखता हूँ...
उन्होंने कहा की अगर कोई तुम्हे नेट पे ..फेक लगे ...और तुम उसे पूछना चाहो ..तो पहले खुद से जरुर पूछना ... कि आप क्या हो....??????
बहरहाल दोस्तों..पंकज जी ..से सिर्फ १५ मिनट बात हुई ....डैनी कुछ दिनों के लिए अमरीका गई हैं...शायद पंकज जी के वीजा के सिलसिले में.....!!!

...यहाँ पर इस कहानी लिखने का मेरा मकसद ये था कि ...पंकज जी के दोस्त ...कुछ दिन पहले ये बाते बड़ी हैरत से कर रहे थे कि उस पागल की किस्मत देखी ...?  मिडिया कवरेज देखी ..? भद्दे शब्द...बेतुकी बाते......
 जले भुने शब्द......!!! ..क्या हमारी सोचह इतनी घटिया हो गई है...? दुनिया के अपराधों ने हमारी सोच को भी छीन लिया ...?...
 जो भी हो... जैसे भी हो...मेरे पास तो इस शुद्ध ह्रदय वाले ..शरीफ इंसान के लिए सिर्फ दुआए हैं....प्यार अमर रहे ..मोहब्बत जिन्दा रहे.....
जोड़ी सलामत रहे.....






..खुश रहो ....पंकज ...डैनी.......!!!शादी मुबारक हो....!!!