....प्रभा दी को मैंने तकरीबन 13 साल बाद देखा...एक छोटे से क्लिनिक की हाल में ...!!! कितनी बदल गयी हैं...मुझे पहचान नहीं पाई वो...मैं भी अनजान बना रहा ...मेरी उम्र में ही हैं वो...मगर ममेरी दीदी की सहेली थी ..तो दी ही कहता था मैं......वो बहुत सीढ़ी सादी लड़की मैं उनके साथ अक्सर बाजार जाता था जाने वो लोग मुझे ही क्यूँ लेते थे...तिब्बती मार्केट की दूरी किशन नगर से ३ मील होगी...६ मील उनके साथ मैं पैदल जाता था....और शायद २ रूपये की मूग वाली नमकीन मिलती थी खाने को....
........बहरहाल.... प्रभा दी के दो छोटे भाई हैं...पिताजी नहीं थे उनके ..शुरू से ही..एक बड़ा सा घर छोड़ गए थे...किराये के पैसों से ही जीवन यापन होता था,,,,उन्होंने पढाई की....खुद.. बी0 काम, एम० काम ..फिर बी एड ,,,एम् एड...सब अच्छी श्रेणी में....!!!और डिग्री कालेज में प्रोफेसर हो गई..हैं इतनी खबर मुझे फोन पे घर में बातों के दौरान मिली थी...!!!
..वो बहुत शांत रहती थी..मगर किसी चर्चा में उनके अन्दर सरस्वती आ जाती थी...दुर्गा रूप में...!मैंने कभी किसीविषय पे उन्हें किसी सी हारते हुए नहीं देखा...!! लेकिन आज उनके बारे में जान ने को मन हुआ...
...कुछ भारी मन से घर आया ...ममेरी बहन को फोन लगाया और छूटते ही बोला..दीदी ..प्रभा दीदी के बारे में बताओ....
" आनंद उसने जीवन भाइयों का जीवन सवारने में और माँ की हिफाजत में लगा दिया...पता ही मेरी शादी के दिन वो बहुत रोई और कहने लगी थी उमा तेरी शादी में अपनी शादी देख ली मैंने ...मैं शायद अगले दस सालो तक भी ये सपना नहीं सजा सकूंगी...महेश को इंजीनियरिंग करानी है ..सुमित को ऑस्ट्रेलिया जाना है ...मैं शादी कर लूँगी..तो सबके सपने बिखर जायेंगे...माँ एक दिन दवा न मिले तो वो उठ भी नहीं पाती .... पापा मुझे बड़ा बेटा कहते थे...उनका दिया काम बाकी है ....!!!"
........मैंने फोन रख दिया...!!!
...सुमित ...महेश तो अपनी पत्नियों के साथ ऑस्ट्रेलिया में हैं..मुझसे बात भी हो जाती है...मगर बड़ा बेटा इतनी गुमनामी में जी गया...वो सहारे होते भी बेसहारा दिखा वो मुझे ....!!!
.....प्रभा दी .!!!!..आप के पास दूसरा रास्ता नहीं था क्या...? ???
YE PADH K EK BAAR TO MERI AANKHON MAIN AANSU AA GAYE ANAND BHAI REALLY...AISEY B LOG HAIN IS DUNIYA MAIN....REALLY PROUD OF PRABHA DI...
ReplyDeletegraet blog bhai..n great lady
ReplyDeletekya bat kahi bhaiji aapne kya likhte ho yar thank's.............
ReplyDeletebhai saab such m kamml hoo aap jab read karte hai too lagta hai sab ankho de dek rahe hai sun m bahut hai acha hai
ReplyDeleteaapki sari post sad kyu hai........
ReplyDeleteआनंद जी बहुत ही मार्मिक और भावनात्मक पोस्ट है....पढकर प्रभा दी के लिये मन बहुत उदास हो गया लेकिन साथ ही एक सन्देश भी दे गया कि आज भी हमारे समाज में रिश्तों को अहमियत देने और उनके लिये त्याग करने वाली प्रभा दी ही है जो हमेशा स्मृतियों में बनी रहेंगी.
ReplyDeleteanand ji aap bahut sundarta k saath sabdoon k madhyam se apne mann ki uthal puthal bhari bhawnaoon ko samjhaa dete hain... itne kam shabdoon mein itni gehri baatein... aap ek din bahut bade lekhak banenge... ye main jaanti hu... meri dher saari subhkaamnayein aapke saath hain...
ReplyDelete...Pradeep Bhai.....
ReplyDelete....Tarun ji.....
Inder..........
.......manoj..(advancetech)
,,,,,,,,,,,,,Suman ji.......
Chandra Shekhar sir.........
and ...Archana ji....so nice .all of U...My Friend......All regards.....
...and thankyou so Much.......!!!
सवेदना से भरा बहुत ही बढिया लेख ,आप को २ पोस्ट पढ़ी , आँखे छलक गयी, काश ' हर इंसान आप जैसे सवेदनशील हो जाये तो ,दुनिया कुछ और ही हो जाये.... ख़ुशी हुई आप के ब्लॉग पर आकर .....
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