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...आपको मेरा नमस्कार...!! मुझे कौन जानता है.......? यह अधिक महत्वपूर्ण है बजाए इस के कि मैं किसे जानता हूँ ? मै..सकलानी....!!!..आनंद सकलानी....!!!! पहाड़ो की पैदाइश, हिंदुस्तान के चार मशहूर शहरों शिक्षा के नाम पर टाइमपास करने के बाद अब कुछ वर्षों से अच्छी कंपनी का लापरवाह कर्मचारी ..! राजनीति करना चाहता था, पर मेरे आदर्श और सिद्धांत मुझे सबसे मूल्यवान लगते हैं, और मैं इनके साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं कर सकता हूँ, गलत को सही दिशा का भान कराना मेरी मजबूरी है , वह बात और है कि मानने वाला उसको माने या न माने...!!!..खैर दोस्तों....!! जिंदगी का क्या है.....?सपने तो दिखाती है मगर ...बहुत गरीब होती है....!!

Sunday, January 5, 2014

कसकता जख्म। …!!!


मित्रो पिछले १२ -१४ साल से मै पहाड़ से भयंकर पलायन देख रहा हूँ
...हालाँकि यह मेरे अनुमान से लगभग ४० सालों से निरन्तर शुरू है ...लेकिन इस अवधि में इसने विकराल रूप धारण किया है ..अपनी शान पर अडिग रहने वाले और प्राकृतिक सौंदर्य से लबालब पहाड़ की इस दुर्गति पर मै इतना व्यथित हूँ कि कभी कभी खुद को महामूर्ख समझने लगता हूँ .. हम फेसबुक शहरी ऐशो-आराम और पहाड़ की सुंदरता/सबलता पर व्यथाएँ -कथाएं तो बहुत सुनाते रहेंगे ... मगर .. अब पहाड़ को जगाने का वक्त आ गया है… अभी नहीं तो कभी नहीं ....!!!
क्यूंकि जिस पायदान पर मुझ जैसे या मेरे हमउम्र "भैजी /भुला " हैं उनकी पीठ पर पहाड़ की संस्कृति /तकनीक एवं तजुर्बा है तो गोद में शहरीकरण के विलेय में विलीन होती थर्ड जनरेसन ...!!! हमने अगर संवाहक की भूमिका निभाने में कसर छोड़ दी तो हम अपनी मा की संस्कृति और पिता की परिवरिश गवाने के अपराधी तो होंगे ही ....

साथ में कसूरवार होंगे अपनी उस मौत के ..जो हमें अपने "भै-बंधु "के बीच शरीर त्यागने के बजाय आलिशान हॉस्पिटल के कमरे या .... अपनी ही जोड़ी दौलत से बने घर के बच्चो के "दादाजी वाले कमरे " में आएगी ...!!!

..इसी क्रम में बहुत सवाल लिखूंगा ..कुछ समाधान भी हैं ..!!!आप भी जरुर सोचियेगा ....!!!

Friday, November 15, 2013

हैं ……??????

आपको मेरा नमस्कार …!!!
एक ठीक -ठाक ए ० सी ० अगर पचास हजार का आता है / तो सरकार  उसे एक लाख का कर दे  .... एक चौपहिया वाहन अगर ढाई लाख से शुरू होता है तो उसकी कीमत  छह लाख से शुरू हो  .... पांच लाख से अधिक लागत वाले घरो पे  ५ गुना टैक्स हो   .... प्राइवेट स्कूल में बच्चे पढ़ाने वाले को बच्चे  की फीस का ५० प्रतिशत सरकारी स्कूल में जमा करना अनिवार्य हो  …   ....शराब का   पव्वा १००० से शुरू हो  …  गुनाह साबित होने पर कैदी  जेल में सोने के बजाय सरकारी बंधक बन के विकास  के कार्यों में योगदान/परिश्रम  करे  … 

इसके एवज में खाने पीने कि मूलभूत वस्तुएं २-३ रूपये किलो मिलें , मिनरल वाटर १ रुपये लीटर मिले  .... गाय पालने वाले को १००० महीना (पालने की अवधि )  तक मिले / किसानो को पैदावार के अनुरूप  तनख्वाह /इनसेंटिव सरकारी अस्पताल में ईलाज मुफ्त  मिले  तो  …

देश में भिखारी/बेरोजगारी/मक्कारी /लाचारी /गद्दारी /मक्कारी /मारामारी/हाहाकारी   ख़तम  

और हाँ  ....

परीक्षा में परिणाम आने में थोडा वक्त तो लगता है  इसलिए मानव अधिकारों की आड़ में कोई चिल्ल पौं न मचाये  ……!!!

धन्यवाद  .... शुभ रात्रि ,शब्बा खैर  ....!!!

Sunday, April 7, 2013

शंकराय नमस्तुभ्यं....!!!

हिन्दू धर्म परंपराओं में सोमवार को महादेव का स्मरण कर पूजन या व्रत-उपवास सारे सांसारिक सुख व शांति पाने की चाहत से बड़े ही शुभ, आसान और अचूक उपाय माने जाते हैं। इसी तरह शिवपुराण में हिन्दू पंचांग की चतुर्दशी तिथि की रात तो दिव्य ज्योर्तिलिंग के प्राकट्य होने की घड़ी माने जाने से बड़ी ही संकटमोचक बताई गई है।

8 तारीख को सोमवार के साथ चतुर्दशी तिथि का ही दुर्लभ संयोग बना है। चतुर्दशी का स्वामी भगवान शिव को माना गया है। हिन्दू पंचांग के हर माह में दो चतुर्दशी होती है। खासतौर पर किसी भी माह के सोमवार को चतुर्दशी तिथि के संयोग में शिव पूजा के विशेष पूजा विधान सारी परेशानियों से निजात देकर सुख-सौभाग्य बरसाने वाले बताए गए हैं।


शिव चतुर्दशी व्रत एवं पूजा के शुभ फल के लिए त्रयोदशी के दिन एक बार भोजन और चतुर्दशी को उपवास करें।
- इस दिन सुबह और शाम भगवान शंकर और पार्वती की पंचोपचार पूजा करें। इसमें गंध, अक्षत, बिल्वपत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल अर्पित करें।
- यथाशक्ति शिव-पार्वती के साथ सोने के बैल की भी पूजा करें।
- शिव स्तुति, मंत्र जप के बाद धूप और दीप से शिव आरती करें।
- पूजा और स्तुति के बाद सोने का बैल और जल भरा कलश किसी विद्वान ब्राह्मण को दान करें।
- शिव पूजा के इन विशेष उपायों में अन्य पूजा सामग्रियों के अलावा हर माह की चतुर्दशी पर शिव को विशेष फूल अर्पित करने का महत्व बताया गया है। हिन्दू पंचांग की इस विशेष तिथि पर बारह माहों में बारह फूल चढ़ाने का महत्व है। चतुर्दशी तिथि पर चढ़ाए जाने वाले ये 12 फूल हैं -

- मन्दार
- मालती
- धतूरा
- सिंदुवार
- अशोक
- मल्लिका
- कुब्जक
- पाटल
- आंकड़े
- कदम्ब
- लाल और नीला रंग का कमल
- कनेर


इसी तरह इस दिन शाम या रात को भगवान शिव की उपासना में पूजा के बाद सोने के वक्त विशेष शिव प्रार्थना भी बताई गई है, जिससे शिव कृपा के साथ हर सुख मिलते हैं। जानिए शिव चतुर्दशी की रात की जाने वाली शिव मंत्र प्रार्थना -
- इस व्रत और पूजा के विशेष नियमों में भक्त खान-पान के साथ ही बोल और आचरण में भी पवित्रता रखें। रात में भूमि पर ही सोएं और शिव की यह विशेष प्रार्थना करें -

शंकराय नमस्तुभ्यं नमस्ते करवीरक।
त्र्यम्बकाय नमस्तुभ्यं महेश्वरमत: परम्।।
नमस्तेस्तु महादेव स्थावणे च तत: परम्।
नम: पशुपते नाथ नमस्ते शम्भवे नम:।।
नमस्ते परमानन्द नम: सोमर्धधारिणे।
नमो भीमाय चोग्राय त्वामहं शरणं गत:।।

Saturday, March 9, 2013

महाशिवरात्रि ..की मंगल कामनाएं ....!!!

हिन्दू धर्म में भगवान शिव की होने वाली तरह-तरह की खास पूजा पंरपराओं में पंचामृत पूजा की बड़ी अहमियत है। पंचामृत पूजा में पांच चीजों, जिनको धार्मिक नजरिए से अमृत की तरह माना जाता है, से भगवान शिव को स्नान कराया जाता है।
ये पांच चीजें हैं - दूध, दही, घी, शक्कर और शहद। पंचामृत स्नान के बाद अन्य पूजन सामग्रियों या उपायों से भगवान शिव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि पंचामृत स्नान व पूजा से प्रसन्न शिव, भक्त का जीवन तमाम सुखों और ऐश्वर्य से भर देते हैं। जीवन से भय, दु:ख और कई तरह की बाधाएं दूर होती हैं।
खासतौर पर आज से सोमवार तक शिव भक्ति के 2 अचूक योग बन रहे हैं। इनमें आज शनि प्रदोष है तो कल यानी 10 को महाशिवरात्रि और 11 को सोमवार के साथ अमावस्या यानी सोमवती अमावस्या है। इन शुभ योगों के लिए जानिए भगवान शिव की पंचामृत पूजा का वह सरल तरीका व मंत्र, जो घर पर भी अपनाना खुशकिस्मत व खुशहाल करने वाला उपाय माना गया है -
- शिवरात्रि को सवेरे जल्दी उठकर नहाकर यथासंभव साफ सफेद वस्त्र पहनें।
- पंचामृत पूजा के लिए अन्य पूजन सामग्रियों, जिनमें गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप शामिल हैं, के साथ पंचामृत स्नान व पूजा की विशेष सामग्रियां - दूध, दही, घी, शक्कर और शहद साथ रखें।


 सबसे पहले शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए यह मंत्र बोलें -
मन्दाकिन्याः समानीतै कर्पूरागुरुवासितै|
स्नानं कुर्वन्तु देवेशा जलैरेभि: सुगन्धिभिः||



जलस्नान के बाद शिवलिंग को दूध से स्नान कराएं। फिर से जल से स्नान कराएं। यह मंत्र बोलें -
कामधेनुसमुद्भूतं सर्वेषां जीवनं परम्|
पावनं यज्ञहेतुश्च पय: स्नानार्थमर्पितम्||



दही स्नान के बाद घी स्नान कराएं। इसके बाद जल से स्नान कराएं। यह मंत्र बोलें -

नवनीत समुत्पन्नं सर्वसंतोषकारकम्|
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्||



घी या घृत स्नान के बाद मधु यानी शहद से स्नान कराएं। शहद से स्नान कराकर जल से स्नान कराएं। यह मंत्र बोलें -
तरुपुष्पसमुद्भूतं सुस्वादु मधुरं मधु|
तेज: पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्||



शहद स्नान के बाद शर्करा या शक्कर से स्नान कराया जाता है। इसके बाद जल स्नान कराएं। यह मंत्र बोलें - इक्षुसारसमुद्भुता शर्करापुष्टिकारिका |
मलापहारिका दिव्या स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्||



आखिर में सभी पांच चीजों को मिलाकर पंचामृत बनाकर स्नान कराएं। मंत्र बोलें-
पयो दधि घृतं चैव मधु च शर्करान्वितम्|
पञ्चामृतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर||
- पंचामृत स्नान के बाद शुद्धजल से स्नान कराएं।
- यह पूजन स्वयं करें या पूजन का श्रेष्ठ तरीका यह होगा कि किसी विद्वान ब्राह्मण से यह कर्म कराएं।
- पंचामृत पूजा के बाद गंध, चंदन, अक्षत, पुष्प और बिल्वपत्र चढ़ावें।
- इसके बाद धूप, दीप और नैवेद्य भगवान शिव को अर्पित करें।
- अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांग और अपनी कामनाओं के लिए शिव से प्रार्थना करें।
- ब्राह्मण से पूजा कर्म कराने पर दान-दक्षिणा जरूर भेंट करें, तभी पूजा पूर्ण मानी जाती है।
क्रमश:....

Friday, March 1, 2013

शनि महाराज के रंग-रूप....!!!

धर्म और ज्योतिष शास्त्रों में विश्वास करने वाला शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जो यह सुनकर भय या संशय में न पड़ता हो कि शनि दशा शुरू होने वाली है। अक्सर शनि चरित्र के केवल नकारात्मक पहलू को दिमाग में रखना भी इसकी वजह है, जिनके मुताबिक शनि के रंग-रूप से लेकर कद-काठी या चाल-ढाल अशुभ करने वाले माने जाते हैं।
दरअसल, शास्त्रों पर गौर करें तो शनिदेव का चरित्र मात्र क्रूर या पीड़ादायी ही नहीं, बल्कि तकदीर संवारने वाले देवता के रूप भी प्रकट होता है। शनि के स्वभाव के संबंध में लिखा भी गया है कि -
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरिस तत्क्षणात्।
यानी अगर शनि प्रसन्न हो तो राजसी सुख देते हैं, वहीं रुष्ट होने पर सारे सुख छीन दुर्गति कर देते हैं। जाहिर है कि शनि कृपा सद्गुणी को सौभाग्य व दुर्गुणी को दुर्भाग्य के रूप में मिलती है।
यही नहीं शास्त्रों में बताए शनिदेव के परिवार के सारे सदस्य भी हमारे सुख-दु:ख को नियत करते हैं।

शास्त्रों में राजा दशरथ द्वारा की गई शनि स्तुति में शनि का ऐसा अद्वितीय स्वरूप बताया गया है, जो बुराईयों और दुष्ट प्रवृत्तियों पर कहर बनकर टूटता है। जानिए कैसे हैं शनि का वह स्वरूप, शक्तियां व कुटुंब -
- शनि का रंग कृष्ण या नीला सरल शब्दों में कहें तो काला माना गया है।
- उनकी दाढ़ी, मूंछ ओर जटा बढ़ी हुई और शरीर मांसहीन यानी कंकाल जैसा है।       
- उनकी बड़ी-बड़ी गहरी और धंसी हुई आंखे हैं।
- पेट का आकार भयानक है, घोर तप से पेट पीठ से सटा हुआ है।
- शनि का स्वभाव क्रूर किंतु गंभीर, तपस्वी, महात्यागी बताया गया है।
- उनका शरीर लंबा-चौड़ा किंतु रुखा है।
- उनकी दाढ़ें काल का साक्षात रूप मानी जाती हैं।
- इस भयानक रूप के साथ उनकी चाल मंद है यानी वह धीरे-धीरे चलते हैं। उनके हाथों में लोहे का दंड होता है।
- शनि का जन्म क्षेत्र - सौराष्ट क्षेत्र में शिंगणापुर माना गया है।
- शनि के पिता सूर्यदेव और माता छाया हैं।
- शनि के भाई-बहन यमराज, यमुना और भद्रा है। यमराज मृत्युदेव, यमुना नदी को पवित्र व पापनाशिनी और भद्रा क्रूर स्वभाव की होकर विशेष काल और अवसरों पर अशुभ फल देने वाली बताई गई है।
- शनि ने शिव को अपना गुरु बनाया और तप द्वारा शिव को प्रसन्न कर शक्तिसंपन्न बने।
- शनि,  कोणस्थ, पिप्पलाश्रय, सौरि, शनैश्चर, कृष्ण, रोद्रान्तक, मंद, पिंगल, बभ्रु नामों से भी जाने जाते हैं।
- शनि के जिन ग्रहों और देवताओं से मित्रता है, उनमें श्री हनुमान, भैरव, बुध और राहु प्रमुख है।
- शनि को भू-लोक का दण्डाधिकारी व रात का स्वामी भी माना गया है।
- शनि का शुभ प्रभाव अध्यात्म, राजनीति और कानून संबंधी विषयों में दक्ष बनाता है।
- शनि की प्रसन्नता के लिए काले रंग की वस्तुएं जैसे काला कपड़ा, तिल, उड़द, लोहे का दान या चढ़ावा शुभ होता है। वहीं गुड़, खट्टे पदार्थ या तेल भी शनि को प्रसन्न करता है।
- शनि की महादशा 19 वर्ष की होती है। शनि को अनुकूल करने के लिये नीलम रत्न धारण करना प्रभावी माना गया है।
- शनि के बुरे प्रभाव से डायबिटिज, गुर्दा रोग, त्वचा रोग, मानसिक रोग, कैंसर और वात रोग होते हैं। जिनसे राहत का उपाय शनि की वस्तुओं का दान है।

शनि के बुरे प्रभाव से बचने के लिए शनि भक्ति व पाठ-पूजा के साथ ही दैनिक जीवन में बोल, व्यवहार और कर्म में 5 बातों को अपनाना भी जरूरी बताया गया है। धर्मशास्त्रों के नजरिए से भी ये बातें हर इंसान का जीवन सफल बनाती हैं। माना जाता है कि इन कामों से शनि बिना पूजा-सामग्रियों के भी प्रसन्न हो जाते हैं, साथ ही ऐसे 5 पुण्य कर्मों से बैर भाव होने पर भी सूर्य कृपा कर अपार यश, प्रतिष्ठा देते है। जानिए, शनि के साथ सूर्य  कृपा पाने के लिए दैनिक जीवन में धर्म पालन से जुड़ी ये खास 5 बातें -
परोपकार -  दूसरों पर दया खासतौर पर गरीब, कमजोर को अन्न, धन या वस्त्र दान या शारीरिक रोग व पीड़ा को दूर करने में सहायता शनि की अपार कृपा देने वाला होता है। क्योंकि परोपकार धर्म का अहम अंग है।
दान – अहं व दोषों से मुक्त इंसान से शनि प्रसन्न होते हैं, जिसके लिए दान का महत्व बताया गया है। दान उदार बनाकर घमण्ड को भी दूर रखता है। इसलिए यथाशक्ति शनि से जुड़ी सामग्रियों या किसी भी रूप में दान धर्म का पालन करें।
सेवा – हमेशा माता-पिता व बड़ों का सम्मान व सेवा करने वाले पर शनि की अपार कृपा होती है। क्योंकि मान्यता है कि शनिदेव जरावस्था या बुढ़ापे के स्वामी है। इसलिए इसके विपरीत वृद्ध माता-पिता या बुजुर्गों को दु:खी करने वाला शनि के कोप से बहुत पीड़ा पाता है।
सहिष्णुता – शनि का स्वरूप विकराल है। वहीं शनि को कसैले या कड़वे पदार्थ जैसे सरसों का तेल आदि भी प्रिय माना गया है। किंतु इसके पीछे भी सूत्र यही है कि कटुता चाहे वह वचन या व्यवहार की हो, से दूर रहें व दूसरों के ऐसे ही बोल व बर्ताव को द्वेषता में न बदलें यानी सहनशील बनें।
क्रोध का त्याग – शनि का स्वभाव क्रूर माना गया है, किंतु वह बुराईयों को दण्डित करने के लिए है। इसलिए शनि कृपा पाने व कोप से बचने के लिए क्रोध जैसे विकार से दूर रहना ही उचित माना गया है।


धार्मिक मान्यताओं में शनि की तिरछी नजर सबल, सक्षम को भी पस्त करने वाली मानी गई है। शनि की ऐसी ही क्रूर दृष्टि से कौन-कौन बदहाल हो सकता है? इसका जवाब भी शास्त्रों में लिखा गया है कि -
देवासुरमनुष्याश्च सिद्धविद्याधरोरगा:।
तव्या विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।।
जिसका मतलब है - देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध, विद्याधर और नाग इन सभी का शनि की टेढ़ी नजर समूल नाश कर सकती है।

Friday, February 1, 2013

शनिवार .....!!!

मित्रो ....कभी कभी ..इंसान सब कुछ अच्छा करने के उपरांत भी बुरे परिणाम का भागी हो जाता है ....वो सोचता रह जाता है कि ऐसा क्यों है ...बहुत कुछ नि बल्कि ग्रहों के विपरीत प्रभाव से हो जाता है ...हमारी संस्कृति में कुछ साधारण उपाय है क्या आप इन का अनुसरण करके अपने जीवन को खुशहाल बनायेंगे ...???


हिन्दू धर्मग्रंथों मे बताए कई आसान धार्मिक उपाय न केवल परेशानियों से उबराने वाले हैं, बल्कि प्रकृति रूप ईश्वर के दर्शन व संगति का बेहतर जरिया भी हैं। ये तन, मन के साथ आत्मा को भी सबल बनाने वाले माने गए हैं। इसी तन, मन या आत्म बल के बूते जीवन के तमाम उतार-चढ़ावों का सामना कर हर इंसान सुखों को तय करता है। इन उपायों में ही एक है - अश्वत्थ यानी पीपल के पेड़ की पूजा।

पीपल के पेड़ में कई देवताओं का वास भी माना गया है। यही नहीं, हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीमद्गभगवदगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने खुद को अश्वत्थ यानी पीपल का ही स्वरूप बताया है। इसलिए तमाम परेशानियों, संकट, रोग व दरिद्रता से बचने या नवग्रह दोष खासतौर पर शनि दोष शांति के लिए भी हर रोज के अलावा शनिवार को देव वृक्ष पीपल की पूजा  मंत्र व उपाय से करना बहुत ही शुभ व चमत्कारी माना गया है -


 शनिवार की सुबह स्नान के बाद सफेद या पीले रेशमी वस्त्र पहन पवित्र स्थान या देवालय में स्थित पीपल वृक्ष की जड़ में गाय के दूध व पवित्र गंगाजल में गुलाब के फूल, तिल, चंदन व काले तिल मिलाकर चढ़ाते हुए नीचे लिखा मंत्र संकटनाश व खुशहाली की कामना से बोलें -
आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं शरणं गत:।
देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।
अश्वत्थ ह्युतझुग्वास गोविन्दस्य सदाप्रिय।
अशेषं हर मे पापं वृक्षराज नमोस्तुते।
- मंत्र बोलकर सरसों के तेल का दीप पीपल के पेड़ के पास लगाएं व कोई भी मिठाई या मीठा नैवेद्य चढ़ाकर इष्ट या शिव, विष्णु की आरती करें।


शुभ दिन ....!!!

Monday, March 5, 2012

"कानून को नचाती राजनीति "

उत्तराखंड में चुनाव के  नतीजे कल घोषित हो जायेंगे.....किसी की सरकार बने या गर्त में जाये.... मुझे कोई मतलब नहीं ....!!!
मेरा देश मेरा.... गाँव हमेशा ....भाईचारे और सदभाव से आगे बढ़ा है....किसी सरकार  या एक आदमी के  रहमो-करम से नहीं....सच पूछिए..तो मुझे सिर्फ...एक अभिलाषा है....और साथियों... अभिलाषा ये है की मै एक अर्धविक्षिप्त माँ और एक झुकी हुई कमर के वृद्ध बाप की आँखों में सूकून तलाश रहा हूँ..जो उनकी बेटी के हयारो को सजा मिलने पे दिखेगा.... .बिगत एक साल से....जब से देहरा दून में दोबारा आया हूँ...!! मेरे पड़ोस   की कालोनी है ..आकशदीप ..और मित्रलोक... को जोड़ने वाला बीच का हिस्सा सुमन नगर भाग-२ कहलाता है....वहा पे नोटियाल जी का मकान है...ठीक २ साल पहले मै तब गुजरात के कच्छ ..नामक क्षेत्र में कांडला सी पोर्ट पे था...हिंदुस्तान यूनिलीवर के एक्सपोर्ट डिविज़न में ....वही पे केबल टीवी के जरिये ये खबर देखी थी.....तो हक्का बक्का रहा गया था.... !!!
नौटियाल जी की सबसे छोटी बेटी ..जो की धामावाला में किसी ऑफिस में काम करती थी...उसकी लाश ..राजपुर रोड पे किसी बड़े पोलिस अधिकारी के आवास के पास बोरे में बंद पाई गई....!!उसके गायब होने के  १६ घंटे के अन्दर लाश मिली...लाश को वहा छोड़ने वाला लड़का भी पकड़ा गया...वो कोई जौनसारी था.....कुछ दिन हवालात में रहने के बाद वो लड़का भी छूट गया...मामला प्रेम सम्बन्ध का भी नहीं था....पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट में भी ऐसा कुछ नहीं था की जो कोई बात निर्धारित होती.... इतना जरुर पता चला की वो लड़की उस दिन ऑफिस नहीं जाना चाहती थी....!!!
एक बात और है की उसका कार्यालय का मालिक बहुत बड़ा आदमी था....जिसका राजनीती में बहुत पहुच है                  
..और हाँ ...यह बात अचानक मेरे लेख का विषय इसलिए बन गई क्यूंकि आज मै  "चटनी मेर्री " होटल में गया लंच पे तो वहा अपनी उम्र के एक पोलिस अधिकारी से जानपहचान हो गई....मेरे मन में वो बात कचोट रही थी तो मै पूछ बिता..की मेरे मोहल्ले का एक  जघन्य केश पोलिस फ़ाइल में दब गया...उसने एक ठंडी आह ली और कहा ...भाई वो केस सुलझा हुआ है....बस कोंग्रेस की सरकार आ जाये ....सब साले अन्दर हो जायेंगे....
मै बोला कैसे...? तो कहने लगा की ...राजनीती की भेंट चढ़ गया वो केस ...मुजरिमों के सर  पे ....वर्तमान सरकार का हाथ है....
..अगर  ऐसा हो जाये तो काश....  कांग्रेस आ जाये....!!!
मगर  मुझे ये भी पता है .....कि...कोंग्रेस के आने के बाद भी ऐसे हादसे होंगे ...और लोग भाजपा का इन्तेजार करेंगे.......लोग उम्मीदों पे जी रहे है ..जिंदगी ऐसे ही कट रही है....!!!
 ..........ह्म्म्म ...पड़ोस  कि आंटी बता रही थी कि जिस दिन...हम ..पोलिश दफ्तर गए थे....वहा पे ..छवानी सी बना राखी थी...जैसे  आतंकवादी आने वाले है.....
आप ही बताओ दोस्तों ...आतंक कौन फैला रहा है पब्लिक पे....?????
भगवान उस दिवंगत आत्मा को शांति दे.....!!!..