हिन्दू धर्म परंपराओं में सोमवार को महादेव का स्मरण कर पूजन या व्रत-उपवास
सारे सांसारिक सुख व शांति पाने की चाहत से बड़े ही शुभ, आसान और अचूक
उपाय माने जाते हैं। इसी तरह शिवपुराण में हिन्दू पंचांग की चतुर्दशी तिथि
की रात तो दिव्य ज्योर्तिलिंग के प्राकट्य होने की घड़ी माने जाने से बड़ी
ही संकटमोचक बताई गई है।
8 तारीख को सोमवार के साथ चतुर्दशी तिथि का ही दुर्लभ संयोग बना है। चतुर्दशी का स्वामी भगवान शिव को माना गया है। हिन्दू पंचांग के हर माह में दो चतुर्दशी होती है। खासतौर पर किसी भी माह के सोमवार को चतुर्दशी तिथि के संयोग में शिव पूजा के विशेष पूजा विधान सारी परेशानियों से निजात देकर सुख-सौभाग्य बरसाने वाले बताए गए हैं।
शिव चतुर्दशी व्रत एवं पूजा के शुभ फल के लिए त्रयोदशी के दिन एक बार भोजन और चतुर्दशी को उपवास करें।
- इस दिन सुबह और शाम भगवान शंकर और पार्वती की पंचोपचार पूजा करें। इसमें गंध, अक्षत, बिल्वपत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल अर्पित करें।
- यथाशक्ति शिव-पार्वती के साथ सोने के बैल की भी पूजा करें।
- शिव स्तुति, मंत्र जप के बाद धूप और दीप से शिव आरती करें।
- पूजा और स्तुति के बाद सोने का बैल और जल भरा कलश किसी विद्वान ब्राह्मण को दान करें।
- शिव पूजा के इन विशेष उपायों में अन्य पूजा सामग्रियों के अलावा हर माह की चतुर्दशी पर शिव को विशेष फूल अर्पित करने का महत्व बताया गया है। हिन्दू पंचांग की इस विशेष तिथि पर बारह माहों में बारह फूल चढ़ाने का महत्व है। चतुर्दशी तिथि पर चढ़ाए जाने वाले ये 12 फूल हैं -
- मन्दार
- मालती
- धतूरा
- सिंदुवार
- अशोक
- मल्लिका
- कुब्जक
- पाटल
- आंकड़े
- कदम्ब
- लाल और नीला रंग का कमल
- कनेर
इसी तरह इस दिन शाम या रात को भगवान शिव की उपासना में पूजा के बाद सोने के वक्त विशेष शिव प्रार्थना भी बताई गई है, जिससे शिव कृपा के साथ हर सुख मिलते हैं। जानिए शिव चतुर्दशी की रात की जाने वाली शिव मंत्र प्रार्थना -
- इस व्रत और पूजा के विशेष नियमों में भक्त खान-पान के साथ ही बोल और आचरण में भी पवित्रता रखें। रात में भूमि पर ही सोएं और शिव की यह विशेष प्रार्थना करें -
शंकराय नमस्तुभ्यं नमस्ते करवीरक।
त्र्यम्बकाय नमस्तुभ्यं महेश्वरमत: परम्।।
नमस्तेस्तु महादेव स्थावणे च तत: परम्।
नम: पशुपते नाथ नमस्ते शम्भवे नम:।।
नमस्ते परमानन्द नम: सोमर्धधारिणे।
नमो भीमाय चोग्राय त्वामहं शरणं गत:।।
8 तारीख को सोमवार के साथ चतुर्दशी तिथि का ही दुर्लभ संयोग बना है। चतुर्दशी का स्वामी भगवान शिव को माना गया है। हिन्दू पंचांग के हर माह में दो चतुर्दशी होती है। खासतौर पर किसी भी माह के सोमवार को चतुर्दशी तिथि के संयोग में शिव पूजा के विशेष पूजा विधान सारी परेशानियों से निजात देकर सुख-सौभाग्य बरसाने वाले बताए गए हैं।
शिव चतुर्दशी व्रत एवं पूजा के शुभ फल के लिए त्रयोदशी के दिन एक बार भोजन और चतुर्दशी को उपवास करें।
- इस दिन सुबह और शाम भगवान शंकर और पार्वती की पंचोपचार पूजा करें। इसमें गंध, अक्षत, बिल्वपत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल अर्पित करें।
- यथाशक्ति शिव-पार्वती के साथ सोने के बैल की भी पूजा करें।
- शिव स्तुति, मंत्र जप के बाद धूप और दीप से शिव आरती करें।
- पूजा और स्तुति के बाद सोने का बैल और जल भरा कलश किसी विद्वान ब्राह्मण को दान करें।
- शिव पूजा के इन विशेष उपायों में अन्य पूजा सामग्रियों के अलावा हर माह की चतुर्दशी पर शिव को विशेष फूल अर्पित करने का महत्व बताया गया है। हिन्दू पंचांग की इस विशेष तिथि पर बारह माहों में बारह फूल चढ़ाने का महत्व है। चतुर्दशी तिथि पर चढ़ाए जाने वाले ये 12 फूल हैं -
- मन्दार
- मालती
- धतूरा
- सिंदुवार
- अशोक
- मल्लिका
- कुब्जक
- पाटल
- आंकड़े
- कदम्ब
- लाल और नीला रंग का कमल
- कनेर
इसी तरह इस दिन शाम या रात को भगवान शिव की उपासना में पूजा के बाद सोने के वक्त विशेष शिव प्रार्थना भी बताई गई है, जिससे शिव कृपा के साथ हर सुख मिलते हैं। जानिए शिव चतुर्दशी की रात की जाने वाली शिव मंत्र प्रार्थना -
- इस व्रत और पूजा के विशेष नियमों में भक्त खान-पान के साथ ही बोल और आचरण में भी पवित्रता रखें। रात में भूमि पर ही सोएं और शिव की यह विशेष प्रार्थना करें -
शंकराय नमस्तुभ्यं नमस्ते करवीरक।
त्र्यम्बकाय नमस्तुभ्यं महेश्वरमत: परम्।।
नमस्तेस्तु महादेव स्थावणे च तत: परम्।
नम: पशुपते नाथ नमस्ते शम्भवे नम:।।
नमस्ते परमानन्द नम: सोमर्धधारिणे।
नमो भीमाय चोग्राय त्वामहं शरणं गत:।।
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