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...आपको मेरा नमस्कार...!! मुझे कौन जानता है.......? यह अधिक महत्वपूर्ण है बजाए इस के कि मैं किसे जानता हूँ ? मै..सकलानी....!!!..आनंद सकलानी....!!!! पहाड़ो की पैदाइश, हिंदुस्तान के चार मशहूर शहरों शिक्षा के नाम पर टाइमपास करने के बाद अब कुछ वर्षों से अच्छी कंपनी का लापरवाह कर्मचारी ..! राजनीति करना चाहता था, पर मेरे आदर्श और सिद्धांत मुझे सबसे मूल्यवान लगते हैं, और मैं इनके साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं कर सकता हूँ, गलत को सही दिशा का भान कराना मेरी मजबूरी है , वह बात और है कि मानने वाला उसको माने या न माने...!!!..खैर दोस्तों....!! जिंदगी का क्या है.....?सपने तो दिखाती है मगर ...बहुत गरीब होती है....!!

Friday, February 1, 2013

शनिवार .....!!!

मित्रो ....कभी कभी ..इंसान सब कुछ अच्छा करने के उपरांत भी बुरे परिणाम का भागी हो जाता है ....वो सोचता रह जाता है कि ऐसा क्यों है ...बहुत कुछ नि बल्कि ग्रहों के विपरीत प्रभाव से हो जाता है ...हमारी संस्कृति में कुछ साधारण उपाय है क्या आप इन का अनुसरण करके अपने जीवन को खुशहाल बनायेंगे ...???


हिन्दू धर्मग्रंथों मे बताए कई आसान धार्मिक उपाय न केवल परेशानियों से उबराने वाले हैं, बल्कि प्रकृति रूप ईश्वर के दर्शन व संगति का बेहतर जरिया भी हैं। ये तन, मन के साथ आत्मा को भी सबल बनाने वाले माने गए हैं। इसी तन, मन या आत्म बल के बूते जीवन के तमाम उतार-चढ़ावों का सामना कर हर इंसान सुखों को तय करता है। इन उपायों में ही एक है - अश्वत्थ यानी पीपल के पेड़ की पूजा।

पीपल के पेड़ में कई देवताओं का वास भी माना गया है। यही नहीं, हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीमद्गभगवदगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने खुद को अश्वत्थ यानी पीपल का ही स्वरूप बताया है। इसलिए तमाम परेशानियों, संकट, रोग व दरिद्रता से बचने या नवग्रह दोष खासतौर पर शनि दोष शांति के लिए भी हर रोज के अलावा शनिवार को देव वृक्ष पीपल की पूजा  मंत्र व उपाय से करना बहुत ही शुभ व चमत्कारी माना गया है -


 शनिवार की सुबह स्नान के बाद सफेद या पीले रेशमी वस्त्र पहन पवित्र स्थान या देवालय में स्थित पीपल वृक्ष की जड़ में गाय के दूध व पवित्र गंगाजल में गुलाब के फूल, तिल, चंदन व काले तिल मिलाकर चढ़ाते हुए नीचे लिखा मंत्र संकटनाश व खुशहाली की कामना से बोलें -
आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं शरणं गत:।
देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।
अश्वत्थ ह्युतझुग्वास गोविन्दस्य सदाप्रिय।
अशेषं हर मे पापं वृक्षराज नमोस्तुते।
- मंत्र बोलकर सरसों के तेल का दीप पीपल के पेड़ के पास लगाएं व कोई भी मिठाई या मीठा नैवेद्य चढ़ाकर इष्ट या शिव, विष्णु की आरती करें।


शुभ दिन ....!!!

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