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...आपको मेरा नमस्कार...!! मुझे कौन जानता है.......? यह अधिक महत्वपूर्ण है बजाए इस के कि मैं किसे जानता हूँ ? मै..सकलानी....!!!..आनंद सकलानी....!!!! पहाड़ो की पैदाइश, हिंदुस्तान के चार मशहूर शहरों शिक्षा के नाम पर टाइमपास करने के बाद अब कुछ वर्षों से अच्छी कंपनी का लापरवाह कर्मचारी ..! राजनीति करना चाहता था, पर मेरे आदर्श और सिद्धांत मुझे सबसे मूल्यवान लगते हैं, और मैं इनके साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं कर सकता हूँ, गलत को सही दिशा का भान कराना मेरी मजबूरी है , वह बात और है कि मानने वाला उसको माने या न माने...!!!..खैर दोस्तों....!! जिंदगी का क्या है.....?सपने तो दिखाती है मगर ...बहुत गरीब होती है....!!

Thursday, March 3, 2011

विकास की कीमत

राजा भगीरथ जन अपने पुरखो को तारने के लिए गंगा मैया को स्वर्ग से गोमुख होते हुए पहाड़ो के   बीच  रास्ता  दिखाते हुए आगे आगे आ रहे थे तो रस्ते में तीनो भगवान(ब्रह्मा...विष्णु ..महेश )  बैठे थे . पहाड़ो में मचलती   ..छलकती .गंगा माता उन्हें नमन करने के लिए अपने बेग से थोडा शांत होकर  चलने लगी   तीनो हरि के विश्राम की जगह हो त्रिहरी  का नाम  इस जगह को   मिला....!!! आप देखेंगे मित्रो इस स्थान के बाद गंगा मैया स्थिर होके बहने लगती हैं फिर कलान्तरण में यह स्थान टिहरी हो गया...........
...टिहरी...अपने दो सौ सालो से भी कम उम्र जिया वो शहर ...जिसे बचपन से मैं अपने नानाजी के गाँव के नाम से जानता था....मेरे देखते ही देखते मेरी खुली आँखों में बीता हुआ सपना बन गया...!!
.....वो एतिहासिक रियासत  जिसे हिंदुस्तान की आजादी के बाद भी ..रजवाड़े से आजादी नहीं मिली..और यहाँ के लोगो ने गणतंत्र के बाद भी गुलामी देखी....
........... खैर  बात हो रही  है टिहरी के दफ़न होने की....!!!...मुझे अच्छी तरह याद है २००४ के वो दिन जब प्रथम चरण में झील का पानी रोकागया.......बदहवास लोग....बेतरतीब इन्सान हो गए....कुछ समझ नहीं....!!!
.......विकास की यह त्रासदी ....विनाश में सहयोगी रही है ...क्या आप जानते है....एशिया का सबसे बड़ा  और विश्व का तीसरा  यह   बांध ..अपने आगोश में क्या कुछ समां गया....????
...सरसरी तौर पर देखे तो ४८ से ५० किलोमीटर वर्ग फुट फैली हुई यह  झील करीब २७५ गाँव पूरी तरह से एवं १४० गाँव आंशिक रूप से डुबाकर लाखो घरो को पानी  के अंधेरों में समाकर ..हमारी दिल्ली ,पंजाब हरियाणा ..उत्तर प्रदेश को जगमगा रही है....??
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विकास  की बहुत बड़ी कीमत चुकाकर ...आज भी हजारो लोग घर और खेती से महरूम हैं,,,,सरकार ने मुआवजा दिया...लेकिन आम आदमी सरकारी नीतियों में उलझ के रह गया ...जिसका घर डूबा और खेत बच गए...उसे घर का मुआवजा मिला खेतों का नहीं....जिसके खेत डूबे और घर बच गया उसे खेतो का मुआवजा मिला घर का नहीं...ये भारतीय कानून का इंसाफ है...!! आप भी इस कानून के साथ हो सकते हैं....लेकिन जिसने पहाड़ की भोगोलिक परिस्थितियों को समझा है....जिसको पहाड़ी रहन सहन ...खेत खलिहान ...रस्ते जंगल की स्थिति का अहसास है ..वो इस बात को सुनके सन्न रहा जायेगा....शायद ठगा हुआ भी महसूस करे,,,,!!
......मगर मित्रो यह सच है....एक ही गाँव के लोग भाई बंधू नाते रिश्तेदार छिन्न भिन्न कर दिए विस्थापन की प्रक्रिया ने....!!...कुछ गरीब लोग आज भी बिभिन्न बिभागों के दफ्तरों में अपने मुआवजे के लिए ...सरकारी मशीनरी की डांट खाते देखे जा सकते हैं....!!!
,,,,,,टिहरी की गलियों में आखिरी बार मैं तब गुजरा जब मुझे अपना मूल निवास प्रमाण पत्र बनाना था...चूँकि  वो मेरा जिला मुख्यालय था...और किसी भी सम्बंधित काम के लिए अधिकारी गण वह आसीन होते ....
.....कदम कदम पे मेरा कवी ह्रदय इस शहर के इस अजाम को सोच रहा था......
.......यहाँ के राज नरेश बड़े प्रसिद्ध हुए हैं...और श्री बद्री विशाल की उन पे बड़ी कृपा थी... बद्री नाथ जी साक्षात् दर्शन देकर अपना फैसला सुनते थे "टिहरी राज शाही में "बोलंदा बद्री" पर अनेक कथाएं प्रचलित हुई आज भी सुनी जा सकती हैं.....!!!.....क्रमश.... .... n