About Me

My photo
...आपको मेरा नमस्कार...!! मुझे कौन जानता है.......? यह अधिक महत्वपूर्ण है बजाए इस के कि मैं किसे जानता हूँ ? मै..सकलानी....!!!..आनंद सकलानी....!!!! पहाड़ो की पैदाइश, हिंदुस्तान के चार मशहूर शहरों शिक्षा के नाम पर टाइमपास करने के बाद अब कुछ वर्षों से अच्छी कंपनी का लापरवाह कर्मचारी ..! राजनीति करना चाहता था, पर मेरे आदर्श और सिद्धांत मुझे सबसे मूल्यवान लगते हैं, और मैं इनके साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं कर सकता हूँ, गलत को सही दिशा का भान कराना मेरी मजबूरी है , वह बात और है कि मानने वाला उसको माने या न माने...!!!..खैर दोस्तों....!! जिंदगी का क्या है.....?सपने तो दिखाती है मगर ...बहुत गरीब होती है....!!

Thursday, July 7, 2011

इंसान होने का सबूत दिखाइए

.
..........
साथियों आज आफिस से भारी मन से लौटा मै....!!! एक जानी पहचानी उदासी थी....उस पर भरे ट्रेफिक के  बीच दर्शन लाल चौक  पर  एक ६-७ साल का बच्चा ..टिस्सू पेपर खरीदने   की जिद करने लगा...बारिश थी शीशा नहीं खोल पाया मै...पर उसके बदबुदाते हुए होंठ और आँखों में झलकती हुई..बेबसी को...समझते हुए भी गाड़ी बढ़ा  दी....!!
..१०० मीटर आगे चलकर ..मन हुआ... खरीद लूँ....मगर ऐसा नि कर पाया मै..हाँ सोचों ने दामन से मेरी आँखों में कुछ तस्वीरे उकेर दी....!!!
....क्या मैं या कोई भी इन्सान ...रोज एक पाकेट खरीद के ..ये सब बेबसी /गरीबी मिटा सकता है...?..बिलकुल नहीं...बेचने वाले .तो शो रूम में भी बैठे है...आदमी कोम्फेर्ट होके...वहां से खरीद सकता है....!!!
...कुल मिला के लब्बोलुआब ये है...कि..हम सोच बैठे हैं.,..कि हम कुछ बदल नहीं सकते...!! मगर ऐसा नहीं है...हम अपने घर में बैठ के भी...दुनिया बदल सकते है.....हम हमेशा ये सोचते हैं..कि नई जनरेशन ..बिगड़ रही है..बदतमीज हो रही है ....
..उनके आगे उदहारण कौन लोग है....?.जो भी हो...संस्कारों के संवाहक हम लोग ही है...हम जो उन्हें देते है ..वो सूद-ब्याज सहित...हमें लौटाते है....!!
आप चाहे तो ....बस आगे कि कुछ लाइन ..बेमन से ही सही ..पढ़ लीजिये....!!
........बहुत बच्चे...वक्त से पहले...अपने पापा के जूते पहन लेते हैं....उन्हें "स्कूल शूज" के लिए तरसाइए...!!!.उन्हें ललचाइये कि ये  "स्कूल शूज" आप के पैरो में जादा अच्छे लगते हैं...अपने पास पड़ोस  या किसी सामाजिक संस्था  जो इस तरह के  काम में लगी हो...प्रोत्साहित करिए...!!..किसी बच्चे की सरकारी स्कूल फीस .भरने का जिम्मा  भी ले लेंगे....तो समझ लीजिये की आपने एक अच्छा इन्सान बना लिया दुनिया में...क्यूँकि जिंदगी भर के लिए उसके दिल में अच्छाई के बीज बो दिए आपने...!!
............भीख नहीं ...सही हाथो.. में ...सही काम के लिए दान दीजिये....अपने इंसान होने का सबूत दिखाइए...अगर कही ईश्वर है तो उस को जबाब देने का माद्दा रखिये.....!!!और हम में से कुछेक इन्सान भी ये कर बैठे..तो समझिये...अपने भविष्य को संवार दिया हमने...!!
.....
.........आपको जो शांति मिलेगी उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं है.......!!!.

7 comments:

  1. हर सोच मे सकारात्मकता के साथ किया गया छोटा प्रयास भी सार्थक होता है.... इंसानियत का जज्बा जगाना भी एक कला है ...... सुंदर अभिव्यक्ति एवं सुंदर संदेश सकलानी जी

    ReplyDelete
  2. बहुत खूब कहा है आनंद जी.. हमारे समाज में ऐसे बहुत से बच्चे है जो..उम्र से पहले ही बड़े हो जाते है..जिनका बचपन खेलने के बजाय रोजी रोटी कमाने में बीत जाता है... लोग ये तो कह देते है की अभी खेलो खेलने की उम्र है पढने की उम्र है... Govt ने 18 साल से कम उम्र के बच्चो को काम करने से मनाही कर रखी है....पर कभी ये सोचा है.. अगर ये बच्चे काम नही करेगे तो खायेगे कहा से .. ये गरीबी है जो बच्चो को खाए जा रही है.. नन्हे नन्हे हाथो में खिलोनो के बजाय बड़े बड़े काम थमा देती है....

    ReplyDelete
  3. //प्रणाम\\ प्रति सर..बहुत अच्छा लगता है जब आप ..सराहना करते है...उम्र की सीढ़ियों पर इसी तरह हौसला अफजाई करके कृतार्थ करते रहिएगा....!!
    बहुत बहुत बहुत धन्यवाद्,,,,,!!!

    ReplyDelete
  4. आपको भी मेरा नमस्कार सुमन जी....बहुत सही और सटीक बात बोलते हैं आप...आपका व्याख्यान और सोच आपके अन्दर के इन्सान को पर्दर्शित करती है ....बहुत शुक्रिया....!!

    ReplyDelete
  5. नमस्कार आनंद जी बहुत सोचनीय विषय और बहुत बढिया लिखा है आपने...... आज भी जब भी घर से बहार निकलो तोह ऐसा दृश्य पक्का दिखता है अपनी आँखों के सामने ...हम उनके सामने रुक कर भी नि रुक पाते ..और आगे बढ जाते है....अगर कुछ करते है उनके लिए ...तभी... थोडा आगे बड़े तोह फिर से दूसरा दृश्य भी वैसा ही....हमारे देश मैं ऐसे दृश्य हर जगह देखने को मिलेंगे..हम अकेले तोह इतने सारे गरीब बच्चों के लिए कुछ नि कर सकते न ....हाँ इसके लिए सब लोगो मिलकर आगे कदम बढाये तोह फिर जरूउर कुछ हो सकता है...धन्यवाद आपका..:))

    ReplyDelete
  6. आपको नमस्कार दीपा जी....राधे राधे....!!!
    ...सच पूछिए तो तो इन्ही बातों से व्यथित हो जाता हूँ जो आपने लिखी हैं..मैंने ..बच्चो को तरसाने और ललचाने वाले शब्द इसी लिए उसे किये हैं...मूलभूत कारण उनका ...शिक्षा की अहमियत न समझ पाना ही है....गरीब माँ बाप क्या करेंगे....???..करना तो हमी लोगो को है....आखिर हम दौलत इक्कठी करके किसी और दुनिया में जाने वाले है...??..सब जानते हैं नहीं...बस कोई समझ भी ले..और मदद के हाथ बढ़ाये....बहुत कुछ बदल जायेगा....हम चाहे तो इस धरती को स्वर्ग बना लें.....पर बात हमारे चाहने पे रुक जाती है...एकला इन्स्नन बहुत नहीं कर सकता मगर सब मिलकर ..ये काम आसानी से और खूब सूरती से पूरा कर सकते है...!!

    ReplyDelete
  7. देनहार कोई और है भेजत है दिन रैन,
    लोग भरम हमपे करे तासो नीचो नैन.
    एक महान संत की यह वाणी आपने अवश्य सुनी होगी. और दुनिया की सच्चाई भी यही है.Thanx.

    ReplyDelete