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...आपको मेरा नमस्कार...!! मुझे कौन जानता है.......? यह अधिक महत्वपूर्ण है बजाए इस के कि मैं किसे जानता हूँ ? मै..सकलानी....!!!..आनंद सकलानी....!!!! पहाड़ो की पैदाइश, हिंदुस्तान के चार मशहूर शहरों शिक्षा के नाम पर टाइमपास करने के बाद अब कुछ वर्षों से अच्छी कंपनी का लापरवाह कर्मचारी ..! राजनीति करना चाहता था, पर मेरे आदर्श और सिद्धांत मुझे सबसे मूल्यवान लगते हैं, और मैं इनके साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं कर सकता हूँ, गलत को सही दिशा का भान कराना मेरी मजबूरी है , वह बात और है कि मानने वाला उसको माने या न माने...!!!..खैर दोस्तों....!! जिंदगी का क्या है.....?सपने तो दिखाती है मगर ...बहुत गरीब होती है....!!

Thursday, May 5, 2011

महिमा: माता मंगल चण्डिके की

..साथियों मेरे जीवन  पे मेरे कुल पुरोहित श्री महादेव बहुगुणा जी
का गहरा असर है अब वे अस्वस्थ है..उनसे बहुत ज्ञान प्राप्त किया है.. ..दुनिया में बहुत लोग दुखी हैं..मन्त्रों में बड़ी शक्ति है अगर शुद्ध भाव आस्था एवं एकाग्रचित होकर मंत्रो चारण तो परम सफलता मिलती है बस धैर्य पूर्वक इस मन को जीवन को अनुष्ठान /उत्सव बना कर  किया जाये तो . बस माता का ध्यान जरुर करें ....//प्रणाम\\ मेरे परम गुरु ..... उन्ही के दिए ज्ञान के कुछ अंश .....
ध्यान: माता मंगल चण्डिके सुस्थिर यौवना है..ये सम्पूर्ण रूप गुण से मनो हरिणी हैं श्वेत चप्म्पा
के सामान इनका गौर वर्ण है तथा करोडो चंद्रमाओं के समान इनकी मनोहर कान्ति है ये अग्नि शुद्ध दिव्या वस्त्र धारण किये हुए रत्न अभूशानो से विभूषित  है मल्लिका पुष्पों से अलंकृत केश धारण करती हैं ..सुन्दर दन्त पंक्ति कमल के समान शोभाय मान  मुख वाली मंगल चंडिका के प्रसन्न चेहरे पर मंद मुस्कान की छटा छाई हुई है ...इनके दोनों नेत्र नील कमल के समान मनोहर हैं...सबका भरण पोषण करनेवाली ये देवी सबकुछ प्रदान करने में सर्वदा सक्षम हैं ..संसार रुपी घोर समुद्र में डूब रहे व्यक्तियों को उबरने के लिए जगदम्बा जहाज का काम  करती  हैं...!!

*** मंगल चंडिका के निम्न स्तोत्र के पाठ से करुणा मयी माँ शीघ्र प्रसन्न होती है "

"**रक्ष -रक्ष जगन्मातर्देवी मंगल चण्डिके , 
हरिके विपदा राशे हर्ष मंगल करिके
हर्ष मंगल दक्षे हर्ष मंगल चण्डिके,
शुभे  मंगल दक्षे च शुभ मंगल चण्डिके
मंगल मंगलार्हे च सर्व मंगल मांगल्ये ,
सताम मंगल दे देवी सर्वेषाम मंगलालये
पूज्य मंगलवारे च मंग्लाभीष्ट दैवते,
पूज्य मंगल भूपस्य मनु वंशस्य सततम
मंग्लाधिष्ठातृ देवि मंग्लानाम च मंगले , 
संसारे मंगला धारे मोक्ष मंगल  दायनी 
सारे च मंगला धारे पारे च सर्वकर्मणाम,
प्रति मंगल वारे च पूज्य च मंगल प्रदे ...***!!

भावार्थ : जगन्माता भगवती मंगल चण्डिके तुम सम्पूर्ण विपत्तियों का विध्वंस 
करने वाली हो ..एवं हर्ष तथा  मंगल प्रदान करने को हमेशा प्रस्तुत रहती हो...मेरी रक्षा करो ...रक्षा करो...खुले हाथ हर्ष एवं मंगल देने वाली हर्ष पड़ा मंगल चण्डिके तुम शुभा, मंगला दक्षा   , शुभ मंगल चण्डिका, मंगला ,मंग्लार्हा तथा सर्व मंगला कहलाती हो ,अच्छे लोगों का मंगल करना तुम्हारा स्वाभाविक गुण है ,तुम सबके लिए मंगल का आश्रय हो ..देवी तुम मंगल ग्रह की इष्ट देवी हो ...मंगलवार के दिन तुम्हारी पूजा होती है ...मनुवंश में उत्पन्न राजा मंगल की तुम पूजनीय देवी हो  ...मंगल की अधिष्ठात्री देवी तुम मंगलो के लिए भी मंगल हो ..जगत के समस्त मंगल तुम पर आश्रित हैं तुम सबको मोक्षमयी मंगल प्रदान करती हो ..मंगल वार के दिन सुपूजित होने पर मंगल मय सुख प्रदान करने वाली देवी .तुम संसार की सारभूत मंगल धारा तथा समस्त  कर्मो से परे हो......!!!

लाभ : मांगलिक ग्रह के समस्त दोष शांत होते हैं
    २. मंगली के लिए राम बाण  एवं प्रचंड रूप से लाभदायक है....
    ३.मंगलवार के दिन २१ बार पाठ करें ,
    ४. मंगलवार को नमक न  खाए
    5. रोटी और गुड लाल गाय को खिलाएं 






2 comments:

  1. चण्डिके तुम सम्पूर्ण विपत्तियों का विध्वंस
    करने वाली हो ..
    Nice post. Thanx Saklani jee.

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