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...आपको मेरा नमस्कार...!! मुझे कौन जानता है.......? यह अधिक महत्वपूर्ण है बजाए इस के कि मैं किसे जानता हूँ ? मै..सकलानी....!!!..आनंद सकलानी....!!!! पहाड़ो की पैदाइश, हिंदुस्तान के चार मशहूर शहरों शिक्षा के नाम पर टाइमपास करने के बाद अब कुछ वर्षों से अच्छी कंपनी का लापरवाह कर्मचारी ..! राजनीति करना चाहता था, पर मेरे आदर्श और सिद्धांत मुझे सबसे मूल्यवान लगते हैं, और मैं इनके साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं कर सकता हूँ, गलत को सही दिशा का भान कराना मेरी मजबूरी है , वह बात और है कि मानने वाला उसको माने या न माने...!!!..खैर दोस्तों....!! जिंदगी का क्या है.....?सपने तो दिखाती है मगर ...बहुत गरीब होती है....!!

Friday, March 18, 2011

खुश रहो ..भावना / सतीश ...!!

भावना .....!!!
भावना  उपाध्याय  ..नाम था....लम्बी ..छरहरी दुबली ...और सुराही जैसी गर्दन....बहुत तेज कदम चलती वो.. चश्मा लगाती थी....!!क्लास  छूटते  ही  सबसे पहले   ट्यूशन वाले सर के  घर के बहार पहुछ जाती  ........ उन दिनों मैं कोल्ड ड्रिंक कंपनी में पार्ट टाइम जॉब करता था तो क्लास में बहुत  कम जाता  था...वो टाइम भी सूट   नहीं था था मुझे...हां एक अछे फ्रेंड की सलाह पे  ट्यूशन लगवा ली...
.......खैर भावना ..थोडा पहले आती तो हाय  हेल्लो हो जाती....जाने हम दोनों की आँखों में क्या था एक दुसरे के लिए ...हम दूर रहके भी एक दुसरे  को बार बार देखते ....मन ही मन कुछ सोचते ....!! मेरा पक्का दोस्त अरविन्द वोहरा  (जाने अब कहा है ?)मेरे  मन से पहले उसके मन की बात जान गया .....उसने बता दिया...देख वो लेक्चर के दौरान .तुझे देखेगी....!!!
...मै डरपोक था....बिलकुल वैसा जैसे हाल में मैंने " रब ने बनाली जोड़ी का शाहरुख़ " को देखा ...चाहते हुए भी भावना से कुछ  नहीं बोल पाता...!
..खैर  साथियों...मामला ऐसे ही चलता  गया ...आगे नि बढा..मुझ पे पढाई और जॉब का दबाब था ..एक नशा था कम उम्र में जादा  और कुछ बड़ा करने का...!!!
..मेरी ये फिस्सडी सोच ...मुझे ..थोडा दर्द दे गई...अरविन्द जो  मेरा हल्का फुल्का  मैस्सेंजेर और पक्का दोस्त हुआ करता था  अपने बर्थडे पार्टी पे  सिर्फ मुझे   पार्टी  दे गया ...!!!
...अरविन्द ने मेरे आगे कोल्डड्रिंक की बोतल  रखी..खुद के नए बीयर की कैन ...और सपाट शब्दों में बोला....
................ देख सकलानी...."मैं जनता हूँ तुझे अभी न मेरी जरुरत है न भावना की ...और शायद तेरे लिए ये ...ठीक भी है...लेकिन मेरे भाई ..तेरी बाते करते करते भावना मुझे पसंद आ गई है....और सच ये है  कि तेरे दिल की आग मेरे दिल जितनी बड़ी नहीं है....!!!! मैं उसे दिल कि गहराइयों से चाहने लगा हूँ...!!!."
..स्पोर्ट में मुझसे आगे...पढाई में मुझसे  तेज...दुनिया को मुझसे पहले समझने वाला ..सुख दुःख में सबका साथी अरविन्द मुझे आज सबसे बड़ा मूर्ख  और बेदर्द नजर आया...!!! गुस्सा और दर्द पी गया ...मै..सिगरेट कांप गई मेरी उँगलियों मै .,...मैं कुछ कह देता मगर  मेरे कापती बांह को जोर से थामा सतीश ने ....वो सब सुन रहा था....जाने मुझे ऐसा लगा कोई संभाल रहा है मुझे.....!!!...थैंक्स सतीश ...!!
......मैंने किसी से कुछ नहीं कहा
भावना को  शायद  अरविन्द ने बता दिया होगा,,,और हमारे इक्जाम भी शुरू हो गए ,,,,लेकिन भावना को भूल पाना मुश्किल हो रहा था...अरविन्द ने मुझे बताया  की भावना का इकरार  हो चुका है उससे ....वो दोनों  डोईवाला से आते थे...अरविन्द के शब्दों में कि हम हमेशा एक बस एक सीट में आते हैं.....मेरी रही सही उम्मीद को ढहा गया .....मैं अपने काम में मशरूफ हो गया,,,,
...वक्त बहुत तेजी से गुजर गया मित्रो...अगले बरस यूनियन  वीक आ गए  मेरे कुछ मित्र मेरी नज्मे  बहुत पसंद करते थे...मुझे घर से पकड़ के कॉलेज ले गए......लगभग  आखिरी   पलों अपना मैंने  नज्म पेश की ...मुझे याद है वो तालियों की गडगडाहट .... मेरा एक अछे कालेज में दाखिला हो गया था और मुझे पता था की मैं दुबारा इस कालेज में शायद ही  किसी कार्यकर्म में  अब भाग ले सकूं...!!
....दोस्तों मैंने लगातार दो नज्म सुनाई..मुझे सब कुछ बीते पल याद आ रहे थे ....कविताये भी लोगों की  प्रतिक्रियाओं  से अपने खूबसूरत होने का भान दे रही थी...!! 
...मैं मंच से उतर कर नीचे पंडाल में आकर  बैठ गया....बामुश्किल ५ मिनट ...मेरे पास २ लडकिया आई ..एक भावना दूसरी जाने कौन...में  अचानक से खड़ा हो गया .....!! आज पहली बार भावना से  जादा खुल के बात हुई थी मेरी...
..." बातों बातों में भावना ने कहा  " आप के जाने के बाद अरविन्द कभी दोस्त नी रहा मेरा ..मुझे  सतीश ने सब बता दिया था ...आप तो  गायब ही हो गए....तब से ......!!! हां  एक खुश खबर ...अप्रेल में शादी है मेरी बारातियों की तरफ से आना है  आपको ...सतीश और मैं आपकी बात अक्सर करते है....सतीश बहुत तारीफ करता है आज भी आपकी...पर वो भी आपसे कम नहीं हा हा हा """हम दोनों शादी करने जा रहे है...!!
........मेरे चेहरे पे जाने क्यूँ चमक सी आई.... एक ठंडी आह भी थी शायद ...बड़ा  सुकून मिला ....!!..इंसान हूँ न ..दर्द है तो सुकून भी चाहिए...!!


.....फिर से .धन्यवाद्   सतीश ..तुमने  आज फिर मेरी बांह पकड़ के सहारा दिया ...!खुश रहो भावना ..!!!

Thursday, March 3, 2011

विकास की कीमत

राजा भगीरथ जन अपने पुरखो को तारने के लिए गंगा मैया को स्वर्ग से गोमुख होते हुए पहाड़ो के   बीच  रास्ता  दिखाते हुए आगे आगे आ रहे थे तो रस्ते में तीनो भगवान(ब्रह्मा...विष्णु ..महेश )  बैठे थे . पहाड़ो में मचलती   ..छलकती .गंगा माता उन्हें नमन करने के लिए अपने बेग से थोडा शांत होकर  चलने लगी   तीनो हरि के विश्राम की जगह हो त्रिहरी  का नाम  इस जगह को   मिला....!!! आप देखेंगे मित्रो इस स्थान के बाद गंगा मैया स्थिर होके बहने लगती हैं फिर कलान्तरण में यह स्थान टिहरी हो गया...........
...टिहरी...अपने दो सौ सालो से भी कम उम्र जिया वो शहर ...जिसे बचपन से मैं अपने नानाजी के गाँव के नाम से जानता था....मेरे देखते ही देखते मेरी खुली आँखों में बीता हुआ सपना बन गया...!!
.....वो एतिहासिक रियासत  जिसे हिंदुस्तान की आजादी के बाद भी ..रजवाड़े से आजादी नहीं मिली..और यहाँ के लोगो ने गणतंत्र के बाद भी गुलामी देखी....
........... खैर  बात हो रही  है टिहरी के दफ़न होने की....!!!...मुझे अच्छी तरह याद है २००४ के वो दिन जब प्रथम चरण में झील का पानी रोकागया.......बदहवास लोग....बेतरतीब इन्सान हो गए....कुछ समझ नहीं....!!!
.......विकास की यह त्रासदी ....विनाश में सहयोगी रही है ...क्या आप जानते है....एशिया का सबसे बड़ा  और विश्व का तीसरा  यह   बांध ..अपने आगोश में क्या कुछ समां गया....????
...सरसरी तौर पर देखे तो ४८ से ५० किलोमीटर वर्ग फुट फैली हुई यह  झील करीब २७५ गाँव पूरी तरह से एवं १४० गाँव आंशिक रूप से डुबाकर लाखो घरो को पानी  के अंधेरों में समाकर ..हमारी दिल्ली ,पंजाब हरियाणा ..उत्तर प्रदेश को जगमगा रही है....??
.....
विकास  की बहुत बड़ी कीमत चुकाकर ...आज भी हजारो लोग घर और खेती से महरूम हैं,,,,सरकार ने मुआवजा दिया...लेकिन आम आदमी सरकारी नीतियों में उलझ के रह गया ...जिसका घर डूबा और खेत बच गए...उसे घर का मुआवजा मिला खेतों का नहीं....जिसके खेत डूबे और घर बच गया उसे खेतो का मुआवजा मिला घर का नहीं...ये भारतीय कानून का इंसाफ है...!! आप भी इस कानून के साथ हो सकते हैं....लेकिन जिसने पहाड़ की भोगोलिक परिस्थितियों को समझा है....जिसको पहाड़ी रहन सहन ...खेत खलिहान ...रस्ते जंगल की स्थिति का अहसास है ..वो इस बात को सुनके सन्न रहा जायेगा....शायद ठगा हुआ भी महसूस करे,,,,!!
......मगर मित्रो यह सच है....एक ही गाँव के लोग भाई बंधू नाते रिश्तेदार छिन्न भिन्न कर दिए विस्थापन की प्रक्रिया ने....!!...कुछ गरीब लोग आज भी बिभिन्न बिभागों के दफ्तरों में अपने मुआवजे के लिए ...सरकारी मशीनरी की डांट खाते देखे जा सकते हैं....!!!
,,,,,,टिहरी की गलियों में आखिरी बार मैं तब गुजरा जब मुझे अपना मूल निवास प्रमाण पत्र बनाना था...चूँकि  वो मेरा जिला मुख्यालय था...और किसी भी सम्बंधित काम के लिए अधिकारी गण वह आसीन होते ....
.....कदम कदम पे मेरा कवी ह्रदय इस शहर के इस अजाम को सोच रहा था......
.......यहाँ के राज नरेश बड़े प्रसिद्ध हुए हैं...और श्री बद्री विशाल की उन पे बड़ी कृपा थी... बद्री नाथ जी साक्षात् दर्शन देकर अपना फैसला सुनते थे "टिहरी राज शाही में "बोलंदा बद्री" पर अनेक कथाएं प्रचलित हुई आज भी सुनी जा सकती हैं.....!!!.....क्रमश.... .... n