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...आपको मेरा नमस्कार...!! मुझे कौन जानता है.......? यह अधिक महत्वपूर्ण है बजाए इस के कि मैं किसे जानता हूँ ? मै..सकलानी....!!!..आनंद सकलानी....!!!! पहाड़ो की पैदाइश, हिंदुस्तान के चार मशहूर शहरों शिक्षा के नाम पर टाइमपास करने के बाद अब कुछ वर्षों से अच्छी कंपनी का लापरवाह कर्मचारी ..! राजनीति करना चाहता था, पर मेरे आदर्श और सिद्धांत मुझे सबसे मूल्यवान लगते हैं, और मैं इनके साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं कर सकता हूँ, गलत को सही दिशा का भान कराना मेरी मजबूरी है , वह बात और है कि मानने वाला उसको माने या न माने...!!!..खैर दोस्तों....!! जिंदगी का क्या है.....?सपने तो दिखाती है मगर ...बहुत गरीब होती है....!!

Sunday, February 27, 2011

सदाए पीछा करती हैं

इंटरमीडिएट एक साथ किया था सबने...!!
सब लोग बड़े खुश थे एक बड़ी सी कक्षा में से  ७ लोग अलग अलग गाँव से हम भी अपने भविष्य के सपनो में डूबे हुए...!! जैसा की अमूमन गाँव के स्कूल में होता है...!...कोई फौज में जाने की सोच  रहा था ...कोई आगे की पढाई की... कोई ..नजदीक के बड़े शहर दिल्ली जाके कोई नौकरी पकड़ के घर परिवार की माली हालत जल्दी सुधारना चाहता था....!!
खैर दोस्तों.....सबके अपने सपने सच करने का वक्त पास आ गया था...!!
.........मैं आगे की पढाई के लिए देहरादून आ गया...,मंजू...जीतू...रोली ..दिल्ली चले गए...!! बुद्दी अपने गाँव में प्रधान का लड़का था...उसके घर में नौकरी का महौल नहीं था...! उसकी शादी हो चुकी थी और ३ महीने की बच्ची का बाप था वो..!!..वरनी...का मकान का काम था..सो वो कुछ दिन के लिए कही नहीं गया...!!
......रीमा लड़की थी ..उसकी शादी की तैयारियां जोरो पर थी....!!
...इस कहानी में सबसे जादा टीस इसी बात को लेकर उठती है की जिंदगी है क्या....??? क्यूँ वो लोग इतने कम समय लेके आये...? वो सिर्फ ३ महीने के अंतर में एक दुसरे को पुकारते हुए कहा गुम हो गए...??? क्यूँ वो लोग बार बार याद आतें है...??
....शुरुआत रीमा से करता हूँ.....वो चंचल पहाड़ी देवी ..एक बहुत कोमल मन की  लड़की....सुबह सात बजे बिस्तर से उठकर हाथ में पानी का लोटा लिए छत के कोने पे मुंह धोने के लिए आई...अचानक क्या देखती है...सामने पहाड़ी सड़क पे गुजरते हुए ट्रक को ५०० मीटर गहरी खाई में लुढ़कते हुए....वो ट्रक भी पहचान गई ..और उसी के गाँव के लोकल ड्राईवर लड़के को भी.....अधखुली आँखों ने दिमाग को बहुत बुरा सन्देश दे दिया...और वो इसी सदमे में अपना नियंत्रण खो बैठी दिमाग पर ...!!!..एक महीने तक टोने टोटकों और जिंदगी की जद्दोजहद से हर गई वो....!!
....दूसरा वरनी....अपने घर बनाने के लिए ..रेत-बजरी या पत्थर के खान में .दब गया ...जिंदगी ने एक भी सांस उधार नहीं दी उसे..!!
.....तीसरा बुध्ही  ...रात में किसी सांप ने कटा ..और छौड़ गया  अपने पीछे  बीबी और ३-४ महीने की बच्ची..!! न जाने कितनी ना इंसाफी  हो जाती है खुदा के घर ..
...जीतू  ..को दिल्ली की बेलगाम बस निगल गयी....!!
.... पहाड़ी झरनों में मुह लगाके पानी पीने वाला मंजू दिल्ली के १ रुपये का गिलास पानी नहीं पचा सका ..और एक रात के डायरिया में चल बसा....!!
...रोली को दिल्ली की प्लास्टिक फक्ट्री का धुँआ खा गया .१ महीने तक वो भी खून की उल्टियों के बीच अलविदा कह गया...!!!

...बस एक सवाल है... उससे..... जिसकी हुकूमत जहा पे चलती है..की अगर ऐसा ही करना है तो क्या   जरुरत क्या है  किसी  को  दुनिया में लाने.....की...क्या जरुरत  है माँ बाप के सपने सजाने की....क्या जरुरत है दोस्तों को बनाने की...!!! 

2 comments:

  1. is blog ko padhtey hue jo mehsus hua hai vo shbdoon me bayaan karna vastav mein mere liye mushkil hai... bas itna hi kahungi ki blog padhtey hi shradhhanjali k roop mein kuch aansu barbas hi meri aankhon se nikal pade saath hi kuch dostoon ki yaadein tazaa ho gayi jo ab is duniya mein nahi rahe... ishwar un sabki aatma ko shanti dein...

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  2. अर्चना जी हम अगर अच्छा लिखते है तो शायद ये खुशकिस्मती भी है की आप जैसे गहराई से पढने वाले दोस्त भी मिले हैं..ईश्वर आपसे हमारा साथ बनाये रखे..शुब्कम्नाओ के साथ नमस्कार....!!!

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